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कविता

अर्थ-विस्तार

विमलेश त्रिपाठी


जब हम प्यार कर रहे होते हैं
तो ऐसा नहीं
कि दुनिया बदल जाती है

बस यही
कि हमें जन्म देने वाली माँ के
चेहरे की हँसी बदल जाती है

हमारे जन्म से ही
पिता के मन में दुबका रहा सपना
बदल जाता है

और
घर में सुबह-शाम
गूँजने वाले
मन्त्रों के अर्थ बदल जाते हैं

 


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